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farmer success story : बहुत पुरानी कहावत है- ‘उत्तम खेती, मध्यम बान : अधम चाकरी, भीख निदान’। अर्थात् खेती करना सबसे अच्छा कार्य है। खेती के बाद व्यापार करना अच्छा माना गया है। इसके बाद चाकरी यानी नौकरी को स्थान दिया गया है। और अंत में जब कुछ नहीं कर सकते तो भीख मांगो, जो सबसे हेय दृष्टि का काम माना जाता है। कहा भी गया है मांगन से मरना भला। लेकिन समय के साथ नौकरी को सबसे ऊपर यानी सर्वश्रेष्ठ माना जाने लगा है!
और कृषि अब तीसरे स्थान पर आ गई है। लेकिन समाज में आज भी ऐसे अनेक युवा कृषि कार्य से जुड़ रहे हैं जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी को तरजीह न देकर खेती को अपना व्यवसाय बनाकर समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
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farmer success story ऐसे ही एक युवा जबलपुर जिला मुख्यालय से कोई 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘ग्राम रोझा नुनसर’ के 27 वर्षीय युवक ‘आनंद पटेल’ हैं जिन्होंने कृषि में नवाचार कर खेती को लाभ का धंधा बनाकर नई इबारत लिख रहे हैं। आनंद पटेल ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अपने पिता की इच्छानुसार और स्वयं की रूचि के अनुरूप कृषि को ही अपना मुख्य व्यवसाय बनाया लेकिन परंपरागत खेती से हटकर।
उन्होंने कुछ नया करने पर ध्यान केंद्रित किया। आज वे एक सफल कृषि उद्यमी के रूप में आसपास के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। आनंद अपनी पैतृक कृषि भूमि के साथ आसपास के किसानों farmer success story की कृषि भूमि किराये पर लेकर बीज उत्पादन कर रहे हैं। कृषि यंत्रों के जरिये अतिरिक्त लाभ कमा रहे हैं। साथ ही उन्हें धान की पराली और गेहूं के भूसा से लाखों रूपये की आय भी रही है।
बीज का उत्पादन : seed production farmer success
आनंद के पास 50 एकड़ कृषि भूमि है। उन्होंने जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से अनुबंध कर गेहूं की दो किस्में 2851 और जी डब्ल्यू 322 का ब्रीडर सीड प्राप्त कर बीज का उत्पादन शुरू किया। बाद में वे धान की क्रांति और 1121, उड़द की टी 9, चना की सूर्य 10 और मटर की सी-10 और काशी उदय किस्म के बीज का भी उत्पादन करने लगे। आनंद ने बताया!
जब उन्हें बीज के उत्पादन के लिये अतिरिक्त कृषि भूमि की आवश्यकता हुई तो आसपास के किसानों की भूमि रु. 30,000 सालाना की दर से किराए पर लेना शुरू किया। वे अभी करीब 100 एकड़ जमीन किराए से लेकर बीज का उत्पादन कर रहे हैं। विश्वविद्यालय से अनुबंध समाप्त होने के बाद अब वे खेतों में उत्पादित बीज डीलर को देते हैं।
कृषि यंत्रों का उपयोग : use of agricultural machinery
आनंद ने कृषि में नवाचार करते हुए बीज बनाने के साथ कृषि यंत्रों से भी लाभार्जन के लिए वर्ष 2021 में कृषि अभियांत्रिकी विभाग की कस्टम हायरिंग योजना का लाभ उठाकर हाई टेक केंद्र स्थापित किया है। उन्होंने रु. 60,000,00 (साठ लाख रूपये) का ऋण लेकर कम्बाईन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, मल्टीक्रॉप थ्रेसर, बेलर, रैकर और मल्चर मशीनें खरीदी। योजना के तहत उन्हें करीब 40 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ भी मिला।
कृषि यंत्रों को आसपास के किसानों को किराए से देने लगे। इस farmer success story समय उनसे करीब 300 किसान जुड़े हैं जो कृषि यंत्रों और उपकरणों को किराए पर लेते हैं। आनंद ने बताया कि कृषि यंत्रों को किराए से देने पर डीजल और यंत्र चलाने वाले व्यक्ति का खर्च निकालकर रु. 200 प्रति घंटा की बचत हो जाती है। उन्होंने कृषि यंत्रों के लिए, लिए गए ऋण की राशि का भुगतान भी कर दिया है।
कृषि अवशेषों का उपयोग : use of agricultural residues
आमतौर पर कृषि अवशेष खासतौर पर धान की पराली और गेहूं काटने के बाद किसान खेतों में आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। साथ ही खेतों के जीवांश भी समाप्त हो जाते हैं। आनंद ने बताया कि वे धान की 1121 किस्म की बोवनी करते हैं जिसकी पराली गाय, बैल को खिलाने के काम आ जाती है। धान की अन्य किस्मों की पराली खेतों से बेलर और रेकर की सहायता से एकत्रित कर ब्रेकेट बनाने वाले कारखाने में बेच देते हैं।
यह ब्रेकेट ताप विद्युत गृह और बायलर में जलाने के काम आते हैं। इस farmer success story तरह धान के अवशेष से अतिरिक्त आय भी हो जाती है। आनंद बताते हैं कि गेहूं से निकलने वाले भूसा का उपयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अतिरिक्त भूसा से उन्हें करीब 15 लाख रुपए तक की आय हो जाती है। इसके अलावा वे धान की पराली से भी करीब 10 लाख रुपए कमा लेते हैं।
ग्रामीण युवा कृषि से जुड़ें : Rural youth join agriculture
सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद कृषि करने के निर्णय को उचित बताते हुए आनंद पटेल को इस बात की खुशी है कि उन्होंने अपने पैतृक धंधे यानी कृषि को अपनाकर कोई गलती नहीं की है। उन्होने बताया कि उच्च शिक्षा का लाभ उन्हें कृषि में भी मिल रहा है। लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि ग्रामीण युवा पढ़ लिखकर नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसके लिये किसान भी जिम्मेदार हैं।
किसान भी अपने बच्चों को कृषि करने के लिये प्रोत्साहित नहीं करते बल्कि बहुत कम वेतन मिलने पर भी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं। इस मानसिकता से कृषि में युवाओं की रूचि कम हो रही है जो देश हित में ठीक नहीं है। उन्होने कहा कि अब कृषि में पहले जैसी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है।
अधिकांश काम यंत्रों के जरिये करना सम्भव हो गया है। farmer success story चाहते हैं कि ग्रामीण युवा कृषि को अपनाएं तो यह न केवल स्वयं उनके और गांव के लिए फायदेमंद होगा बल्कि देश के विकास में भी वे अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। वे किसानों से भी आग्रह करते हैं कि समय के साथ परंपरागत रूप से खेती करने के स्थान पर अब आधुनिक खेती करें जिससे खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सके। आनंद अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनके पिता ने नौकरी करने के लिए किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया बल्कि खेती करने के उनके निर्णय को सही ठहराते हुए कृषि कार्य में हरसंभव सहयोग किया।
जबलपुर के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के एसईओ श्री श्रीनिवास शर्मा ने बताया कि कृषि अवसंरचना कोष योजना (कस्टम हायरिंग योजना) के तहत आनंद पटेल को ऋण दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 25 लाख रूपये तक की सीमा में जबलपुर के 7 किसानों ने लाभ उठाकर ट्रैक्टर, थ्रेसर, सीड ड्रिल आदि खरीदे हैं जबकि एक करोड़ रूपये तक की सीमा में आनंद पटेल ने हाई टेक केंद्र स्थापित किया है।
farmer success story nश्री शर्मा ने बताया कि फसल की कटाई के लिये हार्वेस्टर में भूसा मशीन लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे अब भूसा व्यर्थ खेतों में नहीं फैलता बल्कि पूरा भूसा एकत्रित कर लिया जाता है। इससे किसानों को गाय – बैलों के लिये भूसा उपलब्ध हो जाता है तथा अतिरिक्त होने पर विक्रय करने आय भी हो जाती है।
केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि अवसंरचना कोष योजना से किसानों, कृषि-उद्यमियों, किसान समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) आदि को फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और पूरे देश में सामुदायिक कृषि संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। इस योजना में 2 करोड़ रुपये तक का ऋण 3 प्रतिशत ब्याज की दर से दिया जाता है।
जबलपुर जिला का आनंद पटेल भी देश के उन 20,000 किसानों में शामिल है जिन्होने कृषि अवसंरचना कोष के तहत लाभ उठाकर कृषि यंत्र और उपकरण खरीदकर हाई टेक केंद्र स्थापित कर सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। इससे आनंद सहित अन्य लाभार्थियों का उद्देश्य कृषि कार्य में विविधता लाने और कृषि विकास में आगे बढऩे का सपना कृषि अवसंरचना कोष की सहायता से पूरा हो रहा है। कृषि अवसंरचना कोष कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकी-करण के माध्यम से परम्परागत कृषि के परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
1 लाख करोड़ रुपये वितरित करने का लक्ष्य : farmer success story Target to distribute Rs 1 lakh crore
उल्लेखनीय है कि कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 8 जुलाई 2020 को फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए की थी। इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपये वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना में वर्ष 2032-33 तक ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।
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