पौराणिक कथाओं में जहां चंद्रमा को देवता, सौंदर्य और कलाओं का स्वामी माना गया है। वहीं शायरियों और कविताओं में चंद्रमा प्रेमी हृदयों के भीतर उपमा बनकर अलंकृत हुआ। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि ने चंद्रमा को एक उपग्रह के रूप में देखा है। बीते लंबे समय से चंद्रमा इंसानों के लिए एक उत्सुकता का केंद्र बना रहा है। दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं ने चांद और सूरज को लेकर कई कल्पनाओं, मिथकों और कहानियों को अपने जीवन और परंपरा का हिस्सा बनाया।
चांद और सूरज आसमान में प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले ऐसे उपग्रह और सितारे हैं जिन्हें रोजाना खुली आंखों से निहारते हुए मनुष्य मन के भीतर उन तक पहुंचने और उनके बारे में जानने की जिज्ञासा सहज पैदा होती रही है। सूरज अपनी दूरी और अपनी गर्म प्रकृति के कारण दुर्लभ बना हुआ है लेकिन चांद जो पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब है और हमारे ग्रह का उपग्रह कहलाता है उसने वह सारी संभावनाएं खुली रख छोड़ी हैं जिससे मनुष्य जाति चांद पर जाकर बसने और वहां कॉलोनियां बनाने का सपना देख सकती है।
गौरतलब बात है कि 60 और 70 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शुरू हुई स्पेस रेस के चलते अपोलो मिशन के अंतर्गत अमेरिका ने साल 1969 में अपने दो एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन को चांद की सतह पर उतारा। इसके बाद कई अपोलो मिशन चांद पर भेजे गए।
हालांकि, साल 1972 में Gene cernan के बाद से कोई दूसरा एस्ट्रोनॉट अभी तक चांद की सतह पर कदम नहीं रखा है। वहीं अब दोबारा अमेरिका और दुनिया के बाकी देश चांद को एक्सप्लोर करने के लिए कमर कस रहे हैं। अमेरिका, रूस और यूरोपियन देशों के अलावा भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में चंद्रमा को लेकर कम जिज्ञासा और कौतुहल से भरा नहीं है। भारतीय वैज्ञानिक लगातार चंद्रमा पर जाने और वहां पर भारतीय तिरंगा लहराने के सपने संजोते रहे हैं। चंद्रयान 2 की आंशिक सफलता के बाद भारत और भारतीय वैज्ञानिक एक बार फिर चंद्रमा की ओर अपने मिशन चंद्रयान 3 के जरिए बढ़ चले हैं।
GSLV MK 3 रॉकेट से चंद्रयान 3 को किया जाएगा लॉन्च
इसरो 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 या 25 अगस्त को चांद के उस हिस्से पर उतरेगा जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। पहले के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। चंद्रयान 3 को GSLV MK 3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान 3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।
शेकलटन क्रेटर
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव 4.2 किलोमीटर वाला एक बड़ा Shackleton Crater है। इस खास जगह पर अरबों सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। इस वजह से यहां का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस जगह पर हाइड्रोजन की मात्रा काफी ज्यादा है। इस कारण यहां पर पानी की मौजूदगी हो सकती है। कई वैज्ञानिकों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि Shackleton Crater के पास 100 मिलियन टन क्रिस्टलाइज पानी मिल सकता है।
कई जरूरी संसाधनों का भंडार है शेकलटन क्रेटर
इसके अलावा यहां पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मरकरी और सिल्वर जैसे जरूरी संसाधन मिल सकते हैं। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत रोवर के माध्यम से इन्हीं जगहों को एक्सप्लोर किया जाएगा। रोवर की मदद से चांद की सतह की मिट्टी, वहां का तापमान और वातावरण में मौजूद गैसों के बारे में पता लगाया जाएगा। इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की संरचना और वहां का भूविज्ञान कैसा है? इन तथ्यों के बारे में भी जाना जाएगा।
नासा के आर्टेमिस 3 मिशन के लिए कितना महत्वपूर्ण है चंद्रयान 3
चंद्रयान 3 नासा के आर्टेमिस-3 मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। अर्टेमिस 3 मिशन के अंतर्गत नासा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इंसानों को उतारने की योजना बना रहा है। ऐसे में चंद्रयान 3 की खोज से चांद के साउथ पोल के बारे में जो डाटा मिलेगा। उससे नासा के आर्टेमिस मिशन को चांद के इस खास क्षेत्र के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी।
ग्लोबल स्पेस रेस में भारत की धमक को करेगा मजबूत
चंद्रयान 3 मिशन इंसानी जिज्ञासा का प्रतीक और बदलते भारत की तस्वीर को बयां करेगा। यही नहीं चंद्रयान 3 ग्लोबल स्पेस रेस में भारत की धमक को मजबूती देगा।