bajra : अधिक बाजरे का उत्पादन और लाभ हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियां अपना आवश्यक है. भारत दुनिया का अग्रणी बाजरा उत्पादक देश है. यहां में लगभग 85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है. जिसमें से 87 प्रतिशत क्षेत्र राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों में है. देश के शुष्क तथा अर्धशुष्क क्षेत्रों में यह प्रमुख खाद्य है
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बाजरे की खेती के लिए भूमि की तैयारी
- बाजरे की खेती के लिए रेतीली, रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है.
- ज़मीन में पानी का निकास होना ज़रूरी है. ज़्यादा देर तक खेत में पानी भरा रहने से फ़सल को नुकसान पहुंच सकता है.
- बारिश के बाद, पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से करनी चाहिए.
- ज़मीन की तैयारी के लिए, 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करें.
- इसके बाद, बाजरे की वर्षा आधारित फ़सल के लिए, 40 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस प्रति हेक्टेयर की ज़रूरत होती है.
- बाजरे की खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल करने से, ज़मीन में पानी रोकने की क्षमता बढ़ जाती है.
- फास्फ़ोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय देनी चाहिए.
- नाइट्रोजन की कुल मात्रा का एक तिहाई हिस्सा, बुवाई के समय अन्य खादों के साथ मिलाकर देना चाहिए.
बाजरे की बुवाई, जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक कर लेनी चाहिए. बुवाई, 50 सेंटीमीटर की दूरी पर 4 सेंटीमीटर गहरे कुंड में हल के पीछे करनी चाहिए.
बाजरे की पैदावार बढ़ाने के लिए, एक बीघे में 5-6 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर सीडड्रिल का इस्तेमाल किया जाए, तो 4-5 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है.
बाजरे(bajra) की खेती के लिए उच्च उपज देने वाली किस्मों का चयन कैसे करे?
बाजरे की सफल खेती के लिए अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें।
अच्छी उपज पाने के लिए, उन्नत किस्म के शुद्ध बीज ही बोने चाहिए. बुवाई के समय और क्षेत्र की अनुकूलता के मुताबिक प्रजाति का चुनाव करना चाहिए. बाजरे की खेती के लिए, काली कपास मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. अम्लीय या जल भराव वाली मिट्टी में बाजरा नहीं पनपता.
प्रजातियों का चयन अच्छी उपज प्राप्त करने हेतु उन्नतिशील प्रजातियों का शुद्ध बीज ही बोना चाहिए। बुवाई के समय एवं क्षेत्र अनुकूलता के अनुसार प्रजाति का चयन करें। विभिन्न प्रजातियों की विशेषतायें तथा उपज क्षमता निम्न तालिका में दर्शायी गयी हैं।
बाजरे की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। हालाँकि, यह काली कपास मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा पनपता है। यह फसल अम्लीय या जल भराव वाली मिट्टी में नहीं पनपती। इसलिए इसकी खेती संतृप्त मिट्टी में करने से परहेज किया जाता है।
बाजरे(bajra) की कुछ उन्नत किस्में ये हैं (Improved varieties of millet)
- आर. एच. बी. 177
- एच. एच. बी. 299
- आर. एच. बी. 234
- एम.पी. एम. एच. -17
- HHB-67 किस्म सबसे ज़्यादा उपज देने वाली पुरानी किस्म है. यह किस्म 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की खेती ज़्यादातर राजस्थान और हरियाणा में की जाती है.
- पायनियर हाइब्रिड बाजरा 86M11 किस्म की फ़सल 90-95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसतन उपज 15-20 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.
बाजरे की HHB-67 किस्म सबसे ज़्यादा उपज देने वाली पुरानी किस्म है. यह सामान्य तौर पर 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म को ज़्यादा पानी की भी ज़रूरत नहीं होती.
बाजरे की दीर्घावधि (80-90 दिनों) में पकने वाली किस्मों की बुवाई जुलाई के पहले सप्ताह में कर देनी चाहिए. मध्यम अवधि (70-80 दिनों) में पकने वाली किस्मों की बुवाई 10 जुलाई तक कर देनी चाहिए. जल्दी पकने वाली किस्मों (65-70 दिन) की बुवाई 10 से 20 जुलाई तक की जा सकती है.
बाजरा (bajra) बोने की विधि / Method Of Sowing | बुवाई का समय/Time Of Sowing
बाजरे(bajra) की बुवाई के लिए मई और जून का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है. बाजरे की बुवाई के दो तरीके हैं:
- खेत में बीज छिड़ककर हल्की जुताई करके मिट्टी में मिलाना.
- बीजों को मशीनों के ज़रिए बोना.
बाजरे को 4 सेंटीमीटर की दूरी पर 4 सेंटीमीटर गहराई वाली लाइनों में बोना चाहिए. बीजों को रोगों से बचाने के लिए, बुवाई से पहले बीजों को 2-2.5 ग्राम थीरम या कैबेन्डाज़िम प्रति 1 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. अरगोट के प्रबंधन के लिए बीज को 20% नमक के घोल में उपचारित करें.
बाजरे(bajra) की खेती के लिए रेतीली, रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. जलभराव वाली मिट्टी में बाजरा अच्छी तरह से उपज नहीं देता.
बुवाई से 15 दिन पहले 10-15 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद डालकर हल से मिट्टी में मिला दें. खेत में पानी न रुके, इसके लिए पानी के निकास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए.
बाजरे(bajra) की दीर्घावधि (80-90 दिनों) में पकने वाली किस्मों की बुवाई जुलाई के पहले सप्ताह में कर देनी चाहिए. मध्यम अवधि (70-80 दिनों) में पकने वाली किस्मों की बुवाई 10 जुलाई तक कर देनी चाहिए. जल्दी पकने वाली किस्मों (65-70 दिन) की बुवाई 10 से 20 जुलाई तक की जा सकती है.
बाजरे (bajra) की बिजाई के लिए बीज की आवश्यकता
बाजरे की बुवाई के लिए 1 – 1.5 किलोग्राम बीज काफी है।
बाजरे (bajra) की फसल में पोषण व्यवस्था
बाजरे(bajra) में पोषण और डाइटरी फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. इसमें प्रोटीन और फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं. बाजरे में 7-12% प्रोटीन, 2-5% वसा, 65-75% कार्बोहाइड्रेट, और 15-20% आहार फाइबर होता है. अन्य अनाजों के मुकाबले इसमें अमीनो एसिड की भी अच्छी मात्रा होती है.
बाजरे की फसल में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए, बुवाई से पहले 30 किलो नाइट्रोजन, 15 किलो फॉस्फोरस के साथ 6 टन गोबर की खाद, 6 किलो एज़ोटोबैक्टर, और 6 किलो पी.एस.बी. जीवाणु खाद, 250 किलो जिप्सम, और 25 किलोग्राम जिंक सल्फ़ेट 21% या 15% डालना चाहिए.
बाजरे(bajra) की फ़सल के लिए भूमि की तैयारी करते समय, 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बाद, बाजरे की वर्षा आधारित फ़सल में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस प्रति हेक्टेयर की ज़रूरत होती है.
बाजरे में आयरन, जिंक, विटामिन बी3, विटामिन बी6, और विटामिन बी9 प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ये स्किन को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. अगर आप डाइट में नियमित रूप से बाजरे का सेवन करते हैं, तो झुर्रियां या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं से बच सकते हैं.
बाजरे (bajra) की फसल में सिंचाई
बाजरे(bajra) की फसल के लिए 3-4 सिंचाई पर्याप्त होती है. बाजरे की फसल को आमतौर पर असिंचित क्षेत्रों में उगाया जाता है. फसल में सिंचाई की ज़रूरत खासकर तब पड़ती है, जब फूल आते हैं. अगर उस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो, तो ज़रूरत के मुताबिक 1 या 2 सिंचाई कर देनी चाहिए.
बाजरे की फसल में नमी रहनी चाहिए, ताकि दाने का विकास अच्छा हो और दाने और चारे की पैदावार बढ़े. बाजरे की विभिन्न प्रजातियां 75-95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं.
बाजरा एक वर्षाधारित फसल है. इसलिए, इसे पानी की सिंचाई की कम ही ज़रूरत होती है. आमतौर पर, फसल को सिंचाई की ज़रूरत तब होती है, जब यह बढ़ रही होती है.
बाजरे(bajra) के लिए हल्की या दोमट बलुई मिट्टी अच्छी होती है. मिट्टी का जल निकास अच्छा होना ज़रूरी है. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद, 2-3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए. बाजरे की बुवाई जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक कर लेनी चाहिए.
बाजरे की फसल में बहुत ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती
बाजरे(bajra) की फसल की कटाई
बाजरा एक खरीफ़ की फ़सल है. इसे गर्मियों में बोया जाता है और सितंबर-अक्टूबर में काटा जाता है. बाजरे की फ़सल आमतौर पर 75-85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बाजरे की बालियां पहले काटी जाती हैं, फिर स्ट्रॉ को काटकर सुखाया जाता है. बालियों को मंड़ाई से पहले अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए. बालियों से दाने अलग करने के लिए थ्रेशर का इस्तेमाल किया जा सकता है या डंडों से पीटकर भी दाने अलग किए जा सकते हैं.
बाजरे(bajra) की कटाई तब की जाती है जब बालियां पूरी तरह से पक जाएं और पौधा लगभग सूख जाए. अफ़्रीका में बाजरे की कटाई आमतौर पर हाथ से की जाती है. बाजरे की कटाई कई बार की जा सकती है, क्योंकि कुछ किस्मों में पुष्पगुच्छ असमान रूप से पकते हैं.
बाजरे की खेती के लिए सिंचाई की ज़रूरत ज़्यादातर फूल आने के समय पड़ती है. अगर उस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो, तो ज़रूरत के मुताबिक एक या दो बार सिंचाई कर देनी चाहिए.
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