मिर्च में होने वाले रोग, उनके लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय – Chilli Diseases And Their Control In Hindi

क्या आपके होमगार्डन में लगे हुए मिर्च के पौधे भी अचानक से कमजोर या मुरझाए हुए दिखाई देने लगते हैं या मिर्च के पौधे में पीलापन इत्यादि समस्याएं आने लगती हैं, तो ये मिर्ची के पौधे में लगने वाले कीट या बीमारी का संकेत हो सकता है, वैसे तो मिर्च के पौधों में रोग लगना आम बात नहीं हैं लेकिन मिर्च में लगने वाले कीट या रोग अक्सर पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, इन बीमारियों से न केवल मिर्च के फल-फूल प्रभावित होते हैं, बल्कि अत्यधिक गंभीर होने पर पूरा पौधा मर सकता है, अगर आपको मिर्च के पौधे रोगग्रस्त लगते हैं तो तुरंत ही उनको बचाने के उपाय अपनाने चाहिए, इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि, मिर्च के पौधे में कौन-कौन से रोग होते हैं, रोगग्रस्त पौधों में दिखाई देने वाले लक्षण और उनके उपचार के बारे जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को पूरा पढ़ें।

Table of Contents

मिर्च के पौधे में होने वाले रोग, उनके लक्षण और बचाव 

गार्डन या गमले की मिट्टी में लगे मिर्च के पौधों में रोग मुख्यतः वायरस, बैक्टीरिया, कवक या अन्य कारकों के कारण होते हैं, जो मिर्ची के पौधे में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया को प्रभावित करते हैं। रोग होने के कारण मिर्च का उत्पादन भी प्रभावित होता है, मिर्च के पौधों को प्रभावित करने वाले रोग निम्न हैं:

  1. पत्ती मरोड़ रोग (लीफ कर्ल रोग)
  2. बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial leaf spot)
  3. बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट (Bacterial soft rot)
  4. काली मिर्च मोजेक वायरस (Pepper mosaic virus)
  5. काली मिर्च विल्ट रोग (Wilt disease)
  6. डैम्पिंग ऑफ (Damping off)
  7. ग्रे मोल्ड (Grey mould or Botrytis cinerea)
  8. एन्थ्रेकनोज रोग (Anthracnose disease)
  9. मिर्च ब्लाइट रोग (Chili blight disease)

पत्ती मरोड़ रोग (लीफ कर्ल रोग) 

चिली लीफ कर्ल, भारत में मिर्च का एक महत्वपूर्ण रोग है, जो मुख्य रूप से वायरस के कारण होता है, यह रोग पौधे की उपज को 50-100% तक कम कर सकता है। चिली लीफ कर्ल सफेद मक्खी (whiteflies) द्वारा फैलता है।  मिर्च के पौधे में पत्ती मरोड़ रोग के निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:

  • पत्ती मरोड़ रोग से संक्रमित मिर्च के पौधे की पत्तियाँ मुड़ी हुई, ऊपर की ओर कर्ल दिखाई देती हैं। पत्तियों की शिराएं सूजी और मोटी दिखाई देती हैं, तथा पत्तियों पर छाले और पीलापन दिखाई देता है।
  • नए उत्पन्न होने वाले पत्ते आकार में बहुत छोटे और घने होते हैं।
  • लीफ कर्ल रोग से संक्रमित पौधा मुरझा जाता है।

चिली लीफ कर्ल रोग को नियंत्रित करने के उपाय (Chilli leaf curl disease control and treatment )

चूंकि चिली लीफ कर्ल रोग वायरस के कारण होता है, इसलिए इस रोग से अपने चिली प्लांट को बचाने के तरीके अपनाए जाने चाहिए। इस रोग से अपने मिर्च के पौधे को सुरक्षित रखने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं, जैसे:

  • स्वस्थ और असंक्रमित मिर्च के बीजों का प्रयोग करना चाहिए।
  • चिली कर्ल लीफ रोग के लक्षण दिखने पर रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाकर जला देना चाहिए।
  • कीट वाहकों को नियंत्रित करने के लिए पौधों के पास स्टिकी ट्रैप लगाना चाहिए या मिर्च के पौधे पर आर्गेनिक पेस्टिसाइड (नीम तेल) का छिडकाव करना चाहिए।

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट डिजीज (Bacterial Leaf Spot In Chilli Plant)

मिर्च के पौधों में होने वाला बैक्टीरियल लीफ स्पॉट एक गंभीर जीवाणु जनित रोग है, यह जीवाणु बीज, मृत पौधों और पौधे की शखाओं इत्यादि के माध्यम से बहुत तेजी से फैलता है, यह रोग मुख्य रूप से पुराने पौधों पर दिखाई देता है लेकिन जल्द ही नये पौधों को भी प्रभावित करने लगता है, गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे चिली के पौधों में बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे:

  • पौधे की पत्तियों पर छोटे छोटे ब्राउन रंग के धब्बे आना।
  • पत्तियों के किनारे सूखने लगना।
  • मिर्च के पौधे में पीले, पानी से लथपथ घाव दिखाई देना, इत्यादि।

मिर्च के पौधे को बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से बचाने के उपाय (Bacterial Leaf Spot Disease Control In Chilli Plant)

  • मिर्च के पौधे लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले तथा उपचारित बीज चुनें।
  • पौधों को उचित दूरी पर लगाना सुनिश्चित करें, ताकि पौधों में वायु का प्रवाह अच्छे से हो सके।
  • किसी भी प्रकार के रोगग्रस्त पौधे को गार्डन या होमगार्डन से हटा दें।
  • एक मृत पौधे से जीवाणु, पानी के छींटे से पौधों में फ़ैल सकता है, इसलिए अच्छी तरह से पौधों की जड़ों पर पानी देना चाहिए।

बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट डिजीज (Bacterial Soft Rot Disease In Chilli Plant)

चिली में होने वाला बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट डिजीज जीवाणु संक्रमण द्वारा होने वाला रोग है, जो मुख्य रूप से मिर्च की फली को प्रभावित करता है, यह बीमारी बरसात के समय ज्यादातर गीले मौसम के कारण होती है, और कुछ बैक्टीरियल कीट भी मिर्च के पौधों में यह बीमारी फैलाते हैं, बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट होने पर मिर्च के पौधों तथा फलों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, जो निम्न प्रकार हैं:

  • इस रोग के कारण मिर्ची की फली सड़ जाती हैं, और वह गलने लगती है।
  • मिर्च से दुर्गन्ध आने लगती है।

मिर्च बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट से बचने के उपाय (Bacterial Soft Rot Disease Control)

  • मिर्ची के पौधे की पत्तियों को मिट्टी से स्पर्श न होने दें।
  • बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट रोग फैलाने वाले कीट को खत्म करने के लिये उचित कीटनाशक जैसे नीम तेल या होममेड पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करें।

(यह भी जानें: पौधों से एफिड्स कैसे निकालें…)

काली मिर्च मोजेक वायरस (Pepper Mosaic Virus In Chilli Plant)

यह वायरस चिली के पौधों में एफिड्स और व्हाइटफ्लाईज के कारण फैलता है, इन कीटों द्वारा मुख्य रूप से पौधे की पत्तियों व तने को प्रभावित किया जाता है, जिसके कारण गलन के साथ-साथ पत्तियां मुड़ जाती हैं। काली मिर्च मोजेक वायरस से प्रभावित मिर्च के पौधों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:

  • पौधे की पत्तियों पर मोजेक पैटर्न में हरे-पीले रंग के धब्बे आना।
  • पत्तियों का मुड़ना।
  • मिर्च की पैदावार कम हो जाना।
  • पौधों की रुकी हुई ग्रोथ।

मिर्च मोजेक वायरस से बचने के तरीके (Ways To Avoid Chilli Mosaic Virus)

मिर्च मोजेक वायरस को खत्म करने का कोई अचूक इलाज नहीं है, लेकिन इस वायरस से मिर्ची को बचाने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:

  • गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे मिर्च के पौधों को एफिड्स जैसे कीटों से सुरक्षित रखें।
  • पौधों में किसी भी प्रकार का संक्रमण पाये जाने पर उसे तुरंत दूर करें, इसके लिए आप पौधों की प्रूनिंग कर सकते हैं।
  • मिर्च के पौधे लगाने के लिए मोजेक वायरस प्रतिरोधी बीजों का चयन करें।

(यह भी जानें: बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और रोग एवं बचाव के तरीके…)

काली मिर्च विल्ट रोग (Pepper Wilt Disease In Chilli Plant In Hindi)

मिर्च विल्ट, मिर्ची के पौधे में होने वाला एक प्रकार का रोग है, जो वाटर मोल्ड (water mold insect) नामक जीव के कारण होता है। इस रोग के कारण पौधों में लीफ ब्लाइट, फल तथा जड़ सड़न इत्यादि समस्याएं होती हैं। मिर्च विल्ट रोग से प्रभावित पौधों में दिखाई देने वाले लक्षण निम्न हैं:

  • रोगग्रस्त पौधे पर ब्राउन या काले रंग के धब्बे तथा सफ़ेद लाइन पड़ जाना।
  • नरम तथा पिलपिले फल।
  • पौधों का मुरझाना, इसके अलावा पौधे नष्ट भी हो सकते हैं।

काली मिर्च विल्ट रोग से बचने के उपाय (Wilt Disease Treatment In Chilli Plant In Hindi)

  • ग्रो बैग या गमले की मिट्टी में लगे पौधों को अधिक पानी देने से बचें।
  • होमगार्डन या टेरिस गार्डन में लगे मिर्ची के संक्रमित पौधों को तुरंत हटा दें।

नोट – एक बार मिर्च विल्ट से प्रभावित पौधे की जड़ संक्रमित होने के बाद पौधों को बचाना लगभग नामुमकिन हो जाता है, लेकिन यदि आपका पौधा अभी भी इस रोग से ज्यादा ग्रसित नहीं हुआ है, तो आप जैविक कवकनाशी उपचार कर सकते हैं।

डैम्पिंग ऑफ (डम्पिंग ऑफ) डिजीज (Damping Off Disease In Chilli)

यह मिट्टी में पैदा होने वाली एक बीमारी है, जिसके कारण बीज सड़ जाते हैं और अंकुरित पौधे नष्ट हो जाते हैं, डैम्पिंग ऑफ रोग मिट्टी में अधिक नमी की स्थिति के कारण उत्पन्न फंगस (फफूंद) के कारण होता है। यह रोग होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • बीज अंकुरण प्रक्रिया में रुकावट।
  • अंकुरित युवा पौधे का नष्ट होना।

डैम्पिंग ऑफ रोग से पौधों को बचाने के उपाय (Chilli Plant Save From Damping Off Diseases In Hindi)

  • मिट्टी को नम रखें, लेकिन अत्यधिक गीला न करें।
  • उचित जलनिकास वाली मिट्टी का उपयोग करें।
  • पौधा लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
  • गमले या ग्रो बैग में लगे पौधों के आस-पास वायु परिसंचरण का ध्यान रखें।

ग्रे मोल्ड रोग – Gray Mold Disease In Chilli Plant In Hindi

यह एक सामान्य कवक संक्रमण है, जो बोट्रीसिस सिनेरिया (Botrytis cinerea) नामक कवक के कारण होता है, ये बीजाणु सामान्यतः तनावग्रस्त पौधों पर या पौधों के तनों पर हमला करते हैं। ग्रे मोल्ड से प्रभावित पौधों में निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:

  • पौधे के प्रभावी भागों पर मोल्ड।
  • मिर्ची के संक्रमित भाग पर छोटे काले बीज जैसे धब्बे।
  • मिर्च, काली ब्राउन होने के साथ-साथ नरम हो जाती है।
  • ग्रे मोल्ड की गंभीर स्थिति के कारण पौधे का सूखकर या मुरझाकर नष्ट होना।

मिर्च के पौधे को ग्रे मोल्ड से बचाने के तरीके – Protect Chilli Plant From Gray Mold In Hindi

ग्रे मोल्ड कोई विशेष कवकनाशी नहीं हैं, इस बीमारी को रोकने का केवल एक ही तरीका है नमी को नियंत्रित करना, इसके लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं:

  • पौधे लगे गमले की मिट्टी में अत्यधिक नमीं से बचें।
  • गार्डन या होमगार्डन में साफ-सफाई रखें।
  • मिर्ची के पौधों को ऐसी जगह रखें, जहाँ वायु परिसंचरण अच्छे से हो सके।

एन्थ्रेकनोज रोग (Anthracnose Disease In Chilli In Hindi)

मिर्च के पौधों में एन्थ्रेकनोज रोग कवक संक्रमण के कारण होता है, जो फलों के आकार, गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है। मिर्च को प्रभावित करने वाले कुल 16 प्रकार के एन्थ्रेकनोज पाए जाते हैं, जो अलग-अलग जलवायु में पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस रोग में पौधों पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • मिर्च पर गोलाकार डेन व काले धब्बे।
  • फलों का सड़ना।
  • मिर्ची के तनों तथा पत्तियों पर ब्राउन रंग के अनियमित धब्बे।

पौधों को एन्थ्रेक्नोज रोग से कैसे बचाएं (Protect Chilli Plants From Anthracnose Disease In Hindi)

अन्य फंगल संक्रमणों की तरह एन्थ्रेकनोज रोग भी नमी की अधिकता के कारण पौधों में फैलता है, इसीलिए अपने होम गार्डन में लगे हुए मिर्च के पौधों को एन्थ्रेकनोज रोग से बचाने के लिए आप निम्न उपाय करें, जैसे:

  • मिर्च के पौधे लगे हुए गमले की मिट्टी को अधिक गीला न होने दें।
  • इस रोग से बचने के लिए उचित जैविक कवकनाशी का प्रयोग करें।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में मिर्च के पौधे लगाएं।

 

मिर्च ब्लाइट रोग (Chilli Blight Disease In Hindi)

शिमला मिर्च या अन्य मिर्च वाले पौधों को ब्लाइट रोग (झुलसा रोग) फाफी नुकसान पहुंचा सकता है, जो मिट्टी में पैदा होने वाले रोगजनक फायटोफ्थोरा कैप्सिकी (Phytophthora capsici) के कारण उत्पन्न होता है। यह रोग पौधे के लगभग सभी भागों को प्रभावित करता है और उच्च आर्द्रता व तापमान के कारण तेजी से फैलता है। मिर्च ब्लाइट रोग से प्रभावित पौधों में निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:

  • बीज अंकुरण में सड़न होना।
  • पौधे के तने पर ब्राउन या काले रंग के धब्बे आना।
  • जड़ें गहरे रंग की तथा पिलपिली हो जाती हैं।
  • पत्तियों व मिर्च (फलों) पर पानी के सूखे हुए धब्बेदार निशान उभर आना।
  • पौधों की ग्रोथ में रुकावट, इत्यादि।

मिर्च ब्लाइट रोग के उपचार (Chilli Blight Disease Treatment In Hindi)

होम गार्डन में लगे मिर्च के पौधे में मिर्च ब्लाइट रोग का संक्रमण आपके पूरे पौधे को नष्ट कर सकता है, इसलिए उपर्युक्त बताए गये लक्षण अगर आपके मिर्च के पौधे में दिखाई देते हैं, तो पौधों को इस रोग से बचाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं:

  • होम गार्डन के गमले में लगे मिर्च के पौधों को आवश्यक तापमान व आर्द्रता में रखना सुनिश्चित करें।
  • अगर वातावरण विपरीत है, तो अपने मिर्च के पौधों को उचित छाया प्रदान करें, इसके लिए आप शेडनेट का उपयोग कर सकते हैं।
  • गार्डन में मिर्च के पौधों के आस-पास साफ-सफाई होना सुनिश्चित करें।
  • मिट्टी को अत्यधिक गीला करने से बचें तथा पर्याप्त नमी बनाएं रखें।

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